TORCH OF GOODNESS

TORCH OF GOODNESS ( A story by W.M.RYBURN in hindi ) - :
                          अच्छाई की मशाल -
हममें से प्रत्येक विद्यार्थी को , जब वह स्कूल अथवा काॅलेज छोड़ता है अपने साथ एक अदृश्य मशाल लेकर चलना होगा जिसे वह दूसरों को हस्तांतरित कर सके - ज्ञान और कौशल की मशाल  ।
अपनी कुशलताओं को हम देश की सेवा में आगे बढ़ा देंगे , लेकिन यदि हम अपने ज्ञान का उपयोग नहीं करते हैं तो इसका मतलब है कि हम उस मशाल को बुझने देते हैं और हममें से कोई भी ऐसा नहीं करना चाहेगा । इसलिए यदि हम यह चाहते हैं कि जो मशाल हमें दी गई है वह न बुझे तो हमें अपने आपको प्रशिक्षित करना होगा । दूसरे शब्दों में, हमें अपनी अच्छाइयों को , सदगुणों को तथा ज्ञान और कुशलताओं को सदैव निखारते रहना होगा ।
प्रस्तुत कहानी में , लेखक हमें यह संदेश देते हैं कि " बुराई एक जगह बँधी रहे तो ठीक है जिससे वह फैल न सके ,परन्तु अच्छे गुणों को अच्छे नागरिकों द्वारा फैलाया जाना चाहिए ।

एक बार गुरूनानकदेव जी अपनी यात्रा के दौरान भ्रमण करते हुए अपने एक शिष्य के साथ एक गाँव पहुँचे । चूँकि यात्रा करते हुए शाम हो गई थी और वे दोनो काफी थक चुके थे ,  इसलिए वे रात में वहाँ रूकना चाहते थे लेकिन उस गाँव के लोग अभद्र थे तथा मेहमान नवाज भी नहीं थे ; उन लोगों ने उन्हें वहाँ रूकने न दिया ।
अतः गुरूनानक और उनके शिष्य को मजबूरी में रात खुले मैदान में बितानी पड़ी ।
जब वे दोनो उस गाँव से रवाना हो रहे थे तो गुरूनानक जी ने कहा , " मैं इन गाँववालों के लिए प्रार्थना करता हूँ कि ये लोग हमेशा इसी गाँव में स्थित रहें।"
उनका शिष्य यह सुनकर अचंभित हुआ  , कुछ सोचा उसने पर बोला नहीं ।

अगले दिन जब वे दूसरे गाँव पहुँचे तो वहाँ उनका स्वागत अलग ही तरीके से हुआ  ।
वे गाँववाले बड़े ही कृपालु स्वाभाव के थे , उस गाँव लोगों ने दोनो के लिए रात को ठहरने की तथा भोजन की व्यवस्था अच्छे से कर दी ।
दूसरी सुबह फिर जब वे गाँव छोड़ रहे थे तो गुरू ने कहा ," मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि इस गाँव के लोग इस गाँव में न रहें , किन्तु सारे देश में फैल जाएँ ।"
उनके शिष्य को कुछ भी समझ में नही आया वे बोल उठे - " क्यों ?" गुरूदेव , आप उन लोगों के लिए जिन्होंने हमारे साथ बुरा बर्ताव किया अच्छे की प्रार्थना करते हैं और जिन लोगों ने हमारी मदद की उनके लिए आप विपत्ति की प्रार्थना करते हैं  ।
आपको मेहमान नवाजी न करने वालों के लिए पूरे देश में बिखर जाने की तथा उन अच्छे व्यवहार वाले लोगों के लिए यह प्रार्थना करनी थी कि वे जहाँ रहते हैं - आराम से, सुख से रहें ।
" नहीं ", गुरूनानकजी ने ऊत्तर दिया , " उन रूखे और स्वार्थी लोगों का उसी स्थान पर रहना ज्यादा ठीक है जहाँ वे केवल एक ही स्थान को नुकसान पहुँचा सकें । यदि वे दूसरे स्थान पर गए तो वे पूरे देश में अपना दुष्प्रभाव छोड़ेंगे ।
पर वे लोग जिनके साथ हम पिछली रात रहे , उनका एक ही स्थान पर रहना उतना अच्छा नहीं होगा क्योंकि उनके पास जो चीज है उसकी हर स्थान पर जरूरत है । उनका सुप्रभाव व चरित्र दूसरों के लिए वे जहाँ कहीं भी जाएँगे, लाभकारी होगा ।
अतः उनका फैलना आवश्यक है ताकि वे अपना प्रकाश अन्य स्थानों पर भी फैलावें ।

अब हमें यह देखना चाहिए कि हम ऐसे नागरिक के रूप में विकसित हों कि लोग हमारे चरित्र व सुप्रभाव को हर स्थान पर चाहें । हम ऐसा चरित्र न बनाएँ जिससे कि लोग यह चाहें कि हम एक ही स्थान पर बने रहें और दूसरों के साथ घुले-मिलें नहीं ।
यदि हमें एक अच्छा इंसान बनना है , जो अपने देश की सेवा कर सके, तो हमें अपने साथ हम जहाँ कहीं भी जाएँ प्रकाश ले जाना होगा न कि अँधेरा ।
दूसरों पर हमारा प्रभाव अच्छा होना चाहिए ; और हम जहाँ भी रहते हों लोगों को हमारे साथ बेहतर महसूस करना चाहिए ।
एक अच्छा नागरिक जहाँ कहीं भी रहता है और जो कुछ भी करता है ,प्रकाश का केन्द्र है.
                 जैसे कि एक चेन उतनी ही मजबूत होती है जितनी कि उसकी कड़ियाँ । हममें से हर एक व्यक्ति एक चेन अर्थात् देश की एक कड़ी है । यदि हम कमजोर और गरीब नागरिक हैं तो हमारा देश कष्ट पाएगा , भले ही हम इस झूठे विचार से संतोष कर लें कि एक व्यक्ति इतने बड़े देश में जहाँ इतने सारे लोग हैं , कुछ भी करता है , तो क्या फर्क पड़ता है ? लेकिन हम सभी की अच्छे नागरिक बनने की जिम्मेदारी है इसलिए हमें यह देखना चाहिए कि चेन की कोई भी कड़ी कमजोर न हो अन्यथा पूरी चेन कमजोर कहलाएगी ।
नागरिक अपने ज्ञान व कौशल की मशाल लेकर चलें जो कि वे दूसरों को हस्तान्तरित कर दें , क्योंकि नागरिक ही देश की सच्ची ताकत हैं।
              - W.M.RYBURN (author)

Previous
Next Post »