सफलता खुशियाँ पाने की चाबी नहीं है बल्कि खुशियाँ सफलता पाने की चाबी है (Success is not the key to Happiness, Happiness is the key to Success)
सफलता पाने की होड़ चारों ओर लगी है । सभी लोग Success के पीछे भाग रहे हैं । वे सोचते हैं मैं ऐसा कर लूँ तो सफल हो जाऊँ , वैसा कर लूँ तो सफल हो जाऊँ ।
परंतु इस भाग-दौड़ में वे अपनी खुशियों को दाँव पर रखते जाते हैं और सफल होने पर भी खुश नहीं हो पाते हैं ।
जैसे - मैं आपको 3 उदाहरण देती हूँ :-
सफलता पाने की होड़ चारों ओर लगी है । सभी लोग Success के पीछे भाग रहे हैं । वे सोचते हैं मैं ऐसा कर लूँ तो सफल हो जाऊँ , वैसा कर लूँ तो सफल हो जाऊँ ।
परंतु इस भाग-दौड़ में वे अपनी खुशियों को दाँव पर रखते जाते हैं और सफल होने पर भी खुश नहीं हो पाते हैं ।
जैसे - मैं आपको 3 उदाहरण देती हूँ :-
(1) एक विद्यार्थी परीक्षा में टाॅप करने के लिए बहुत मेहनत करता है और सारा समय पढ़ाई के लिए दे देता है । उसके घर में या स्कूल में कोई कार्यक्रम हो अथवा कुछ उत्सव हो तो भी वह उसमें भाग नहीं लेता केवल पढ़ाई करने के लिए । लेकिन उसका मन सब लोगों के साथ मिल-जुलकर उत्सव में भाग लेने का करता है । अतः वह पढ़ाई में ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाता और यदि कर भी ले तो भी उसने कुछ बढ़िया पल खो दिए हैं जिसे आगे जाकर उसे महसूस होता है कि " वह क्यों खुश होने का अवसर क्यों छोड़ता रहा ? "
लक्ष्य प्राप्ति के लिए त्याग करने चाहिए लेकिन खुशियों को जीने का मौका नहीं छोड़ना चाहिए पता नहीं कल वो मौका मिले न मिले । अतः लगन और त्याग के साथ-साथ खुशी व प्राप्ति की खुराक भी आवश्यक है ।
आखिर, शरीर व मन को मेहनत व कष्ट के साथ खुशियाँ भी तो चाहिए ।
(2) एक व्यक्ति पढ़ाई खत्म करके किसी बड़ी कंपनी में जाॅब लग जाने को, अपनी सफलता मानता है । इस सफलता की प्राप्ति के लिए वह दिन-रात एक करके मेहनत करता है । इस दौरान न वह अपने परिवार के साथ समय बिता पाता है , न ही स्वयं के साथ ।
अब, वह एक अच्छी कंपनी में जाॅब कर रहा है यानि उसे उसकी सफलता मिल चुकी है परंतु वह खुश नहीं है क्योंकि दूर होने के कारण उसका परिवार उसके साथ नहीं है ।
अब, वह एक अच्छी कंपनी में जाॅब कर रहा है यानि उसे उसकी सफलता मिल चुकी है परंतु वह खुश नहीं है क्योंकि दूर होने के कारण उसका परिवार उसके साथ नहीं है ।
(3) मैंने अपनी पढ़ाई खत्म होने पहले ही सरकारी नौकरी पाने की तैयारी शुरू कर दी थी । लेकिन मन, एक व्यवसाय शुरू करने की ओर ही लग रहा था । बार-बार विचार आता ही रहा तो मुझे लगा कि - हो सकता है सरकारी नौकरी पाने में, मैं सफल हो जाऊँ लेकिन उससे खुशी नहीं मिल पाएगी और सफलता का मतलब तब ही है जब वो हमें खुशी दे सके अन्यथा खुशी के साथ मिलने वाली असफलता ही अच्छी है ।
कहने का अर्थ है कि " सफलता के मायने खुशियों के साथ ही है । हाँलाकि लोग कहते हैं कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है फिर भी हमारी कोशिश यही रहे कि हम सफलता व खुशी दोनों साथ-साथ पाएँ ।
वरना ऐसी असफलता भी बुरी नहीं है जो आपको कोशिश न करने के पछतावे से बचा ले आखिर असफलता सबक तो सिखाती है ।
वरना ऐसी असफलता भी बुरी नहीं है जो आपको कोशिश न करने के पछतावे से बचा ले आखिर असफलता सबक तो सिखाती है ।
जिंदगी भर खुशियों की बलि देकर मिलने वाली सफलता क्या सच में सुखदायी होती है ? सफलता तो वह है जो हमेशा खुशी दे ।
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