तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार !

शिव मंगल सिंह ' सुमन ' जी की प्रेरणादायी कविताएँ हम अपनी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तकों में पढ़ते आए हैं, यहाँ प्रस्तुत कविता भी ऐसी कविताओं में से एक है जिन्हें पढ़कर साहस और निडरता का संचार होने लगता है । इन पंक्तियों में , लेखक नाविक को नाव तूफानों की ओर घुमाने को कहते हैं मतलब जीवन में जोखिम उठाने पर जोर देते हैं - 
Shivmangal singh suman

☆  तूफानों की ओर घुमा दो नाविक
       निज पतवार !
आज सिन्धु ने विष उगला है ,
लहरों का यौवन मचला है ,
आज हृदय में और सिन्धु में ,
साथ उठा है ज्वार !
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार !
लहरों के स्वर में कुछ बोलो ,
इस अंधड में साहस तोलो ,
कभी-कभी मिलता जीवन में ,
तूफानों का प्यार !
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार !
यह असीम, निज सीमा जाने ,
सागर भी तो यह पहचाने ,
मिट्टी के पुतले मानव ने ,
कभी न मानी हार !
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार !
सागर की अपनी क्षमता है ,
पर माँझी भी कब थकता है ,
जब तक साँसों में स्पन्दन है ,
उसका हाथ नहीं रुकता है ,
इसके ही बल पर कर डाले ,
सातों सागर पार !
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार !
         - शिवमंगल सिंह ' सुमन '

Shivmangal singh suman

SHIV MANGAL SINGH SUMAN , HINDI POET , TOOFANON KI OR GHUMA DO NAVIK NIJ PATWAR .

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