जो होगा देखा जाएगा

लगन तुमसे लगा बैठे , जो होगा देखा जाएगा - ये पंक्तियाँ एक भजन की हैं । भक्ति , भगवान और भजन के संदर्भ में तो यह बिल्कुल सही हैं । भक्ति भला ही करेगी और जगतनियंता जिसके साथ है उसे भूत-भविष्य की चिंता क्या ! फिर भी जो होगा देखा जाएगा की अव- धारणा केवल एक भक्त के ही लिए ठीक है ।

बाकि चीजों के लिए यह मान्यता कभी न रखें कि - होगा जो होना होगा देखा जाएगा । महान विद्वानों ने सदैव आगा-पीछा सोचकर कोई काम करने को कहा है :
बिना बिचारे जो करे , सो पाछे पछताय ।
काम बिगाड़े आपनो , जग में होत हँसाय ।
बिल्कुल , किया गया कार्य फल अवश्य देगा । कारण है तो परिणाम भी होगा । एक कहावत है अंग्रेजी में - WHAT GOES AROUND , COMES AROUND . जो जाता है वही आता है । कर्म का फल तो लाखों में भी अपने कर्ता को ढूढ़ लेता है , कर्म और फल परस्पर संबद्ध हैं , हम सभी जानते हैं । इसलिए सोच-विचार कर ही कुछ कीजिए । हम सबने पढ़ा है कि प्रत्येक क्रिया की प्रतिक्रिया होती है ।

जिन लोगों ने यूँ ही , बिना अच्छा-बुरा , लाभ-हानि , करणीय-अकरणीय , धर्म-अधर्म सोचे कार्य किए उसका परिणाम अच्छा नहीं निकला । जो मन में आया , सो कर लिया ; किसी ने कुछ कह दिया तो वो भी कर लिया । सोचा , चलो अभी ऐसा करते हैं बाद में जो होगा , देखा जाएगा । इस अवधारणा ने अवगति करा दी ।
मनुष्य का स्वयं का भी कोई विवेक होता है , बुद्धि होती है जो भगवान ने दी है हमें सोचने-समझने के लिए , निर्णय करने के लिए ।
किंतु बिना सोचे-विचारे , लोगों के कहने पर , परिवारजनों-मित्रों की देखा-देखी पर हम कुछ भी किए जा रहे हैं । वो तो नुकसान उठाएँगे ही , साथ में हमें भी ले डूबेंगे । फिर भी गलती उनकी नहीं है हमारी ही है जो हम अपनी सूझ-बूझ का उपयोग नहीं करते ।

आजकल लोग केवल दूसरों को देखकर , उनका अनुकरण कर अपनी संस्कृति खोते जा रहे हैं । उचित-अनुचित का भान ही न रहा अब बस आधुनिक बनने की होड़ है ।
ठीक है , हो सकता है कि " केवल इस क्षण में जीने , वर्तमान में रहने और अपने किए कार्यों के परिणाम पर ध्यान न देने से हमें कोई बड़ा नुकसान होता न दिखाई दे ; परन्तु चारित्र और मूल्यों में गिरावट होती ही है "

जो होगा सो देखा जाएगा हम ऐसा मानकर भले ही चलें लेकिन प्रकृति तो अपने नियम से चलेगी जो है - जैसी करनी , वैसी भरनी ।

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