शिवमंगल सिंह ' सुमन ' जी द्वारा लिखित यह कविता मेरी पसंदीदा प्रेरणादायक कविताओं में से एक है । इसका संदेश है - चलते रहो ,
हमेशा बस आगे बढ़ते रहो , सफलता मिले चाहे असफलता,सुख हो या दुख , जीवन में रूकने की कोई जगह नहीं ! गति जीवन है , ठहराव मृत्यु है इसलिए जीवन में होने वाले परिवर्तनों को स्वीकार करते हुए हमेशा लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसर रहिए -
☆ चलना हमारा काम है !
===============>
हमेशा बस आगे बढ़ते रहो , सफलता मिले चाहे असफलता,सुख हो या दुख , जीवन में रूकने की कोई जगह नहीं ! गति जीवन है , ठहराव मृत्यु है इसलिए जीवन में होने वाले परिवर्तनों को स्वीकार करते हुए हमेशा लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसर रहिए -
☆ चलना हमारा काम है !
===============>
गति प्रबल पैरों में भरी ,
फिर क्यों रहूं दर-दर खड़ा ।
जब आज मेरे सामने ,
है रास्ता इतना पड़ा ।
जब तक न मंजिल पा सकूँ ,
तब तक मुझे न विराम है ,
चलना हमारा काम है ।
फिर क्यों रहूं दर-दर खड़ा ।
जब आज मेरे सामने ,
है रास्ता इतना पड़ा ।
जब तक न मंजिल पा सकूँ ,
तब तक मुझे न विराम है ,
चलना हमारा काम है ।
कुछ कह लिया,कुछ सुन लिया ,
कुछ बोझ अपना बँट गया ।
अच्छा हुआ , तुम मिल गए ,
कुछ रास्ता ही कट गया ।
क्या राह में परिचय कहूँ ,
राही हमारा नाम है ,
चलना हमारा काम है।
कुछ बोझ अपना बँट गया ।
अच्छा हुआ , तुम मिल गए ,
कुछ रास्ता ही कट गया ।
क्या राह में परिचय कहूँ ,
राही हमारा नाम है ,
चलना हमारा काम है।
जीवन अपूर्ण लिए हुए ,
पाता कभी खोता कभी ,
आशा-निराशा से घिरा,
हँसता कभी रोता कभी ।
गति-मति न हो अवरूद्ध ,
इसका ध्यान आठो याम है ,
चलना हमारा काम है ।
पाता कभी खोता कभी ,
आशा-निराशा से घिरा,
हँसता कभी रोता कभी ।
गति-मति न हो अवरूद्ध ,
इसका ध्यान आठो याम है ,
चलना हमारा काम है ।
इस विशद विश्व-प्रहार में ,
किसको नहीं बहना पडा ।
सुख-दुख हमारी ही तरह ,
किसको नहीं सहना पड़ा ।
फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ ,
मुझ पर विधाता वाम है ,
चलना हमारा काम है ।
किसको नहीं बहना पडा ।
सुख-दुख हमारी ही तरह ,
किसको नहीं सहना पड़ा ।
फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ ,
मुझ पर विधाता वाम है ,
चलना हमारा काम है ।
मैं पूर्णता की खोज में ,
दर-दर भटकता ही रहा ।
प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ ,
रोड़ा अटकता ही रहा ।
हो निराशा क्यों मुझे ?
जीवन इसी का नाम है ,
चलना हमारा काम है ।
दर-दर भटकता ही रहा ।
प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ ,
रोड़ा अटकता ही रहा ।
हो निराशा क्यों मुझे ?
जीवन इसी का नाम है ,
चलना हमारा काम है ।
साथ में चलते रहे ,
कुछ बीच ही से फिर गए ,
गति न जीवन की रूकी ,
जो गिर गए सो गिर गए ,
चलते रहे हर दम जो ,
उसी की सफलता अभिराम है,
चलना हमारा काम है।
कुछ बीच ही से फिर गए ,
गति न जीवन की रूकी ,
जो गिर गए सो गिर गए ,
चलते रहे हर दम जो ,
उसी की सफलता अभिराम है,
चलना हमारा काम है।
फकत यह जानता ,
जो मिट गया वह जी गया ।
मूंदकर पलकें सहज ,
दो-घूँट हँसकर पी गया ।
सुधा-मिश्रित गरल ,
वह साकिया का जाम है ,
चलना हमारा काम है ।
- शिवमंगल सिंह ' सुमन '
जो मिट गया वह जी गया ।
मूंदकर पलकें सहज ,
दो-घूँट हँसकर पी गया ।
सुधा-मिश्रित गरल ,
वह साकिया का जाम है ,
चलना हमारा काम है ।
- शिवमंगल सिंह ' सुमन '
Poem chalna humara kaam hai by shivmangal singh suman,hindi poem .
RELATED POST →
> हिम्मत और जिंदगी-1(रामधारी सिंह दिनकर जी द्वारा लिखित )
Sign up here with your email
ConversionConversion EmoticonEmoticon