उठा लो -》
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आत्मा का यह फूल ,
जो तूफ़ान के थपेड़े से
धूल में गिर गया है
उठा लो इसे ,
चुनना तो
वृंत पर से
हो सकता था
मगर अब वह
वृंत पर नहीं
धूल पर है ,
उठा लो
आत्मा का यह फूल
धूल पर से ,
धूल को
वृंत की तरह
दुख भी नहीं होगा
और चुने जाने का दर्द
नहीं होगा फूल को
उठा लो ,
आत्मा का यह फूल
जो तूफ़ान के थपेड़े से
धूल में गिर गया है !
- भवानीप्रसाद मिश्र
Tags : Uthha lo A Hindi Poem by Bhavani Prasad Shukla .
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