चरित्र ; किसी व्यक्ति के विश्वास , मूल्य , सोच-विचार और व्यक्तित्व का मेल होता है , इसका पता हमारे कार्य और व्यवहार से चलता है ।
चरित्र की रक्षा किसी अन्य धन की रक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण है ।
जीवन में सच्ची सफलता पाने के लिए व्यक्ति का चरित्रवान होना जरूरी है , सच्ची सफलता से आशय एक ऐसे उद्देश्य की प्राप्ति से है , जो हमारे साथ-साथ समाज के लिए भी कल्याणकारी हो , जो शाश्वत हो और जिसकी प्राप्ति हमें हर प्रकार से संतुष्टि दे सके और जिसे पाने के बाद किसी अन्य चीज को पाने की ईच्छा न रहे , ऐसे लक्ष्य की प्राप्ति ही सच्ची सफलता कहलाती है ।
चूँकि सफलता पाने का मार्ग पड़ाव-दर-पड़ाव पार किया जाता है , जिसमें कई छोटे-बड़े लक्ष्य सम्मिलित होते हैं ।
फिर भी सफलता और सुख इन दोनों की परिभाषा प्रत्येक इंसान के लिए अलग-अलग होती है । कोई बहुत सारे पैसे कमाने को सफलता मानता है तो कोई किसी विशेष पद पर पहुँचने और प्रसिद्धि पाने को सफलता समझता है , अतः संक्षेप में कह सकते हैं कि किसी निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति करना ही सफलता कहलाती है ।
चरित्र की रक्षा किसी अन्य धन की रक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण है ।
जीवन में सच्ची सफलता पाने के लिए व्यक्ति का चरित्रवान होना जरूरी है , सच्ची सफलता से आशय एक ऐसे उद्देश्य की प्राप्ति से है , जो हमारे साथ-साथ समाज के लिए भी कल्याणकारी हो , जो शाश्वत हो और जिसकी प्राप्ति हमें हर प्रकार से संतुष्टि दे सके और जिसे पाने के बाद किसी अन्य चीज को पाने की ईच्छा न रहे , ऐसे लक्ष्य की प्राप्ति ही सच्ची सफलता कहलाती है ।
चूँकि सफलता पाने का मार्ग पड़ाव-दर-पड़ाव पार किया जाता है , जिसमें कई छोटे-बड़े लक्ष्य सम्मिलित होते हैं ।
फिर भी सफलता और सुख इन दोनों की परिभाषा प्रत्येक इंसान के लिए अलग-अलग होती है । कोई बहुत सारे पैसे कमाने को सफलता मानता है तो कोई किसी विशेष पद पर पहुँचने और प्रसिद्धि पाने को सफलता समझता है , अतः संक्षेप में कह सकते हैं कि किसी निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति करना ही सफलता कहलाती है ।
▶ वास्तव में सफलता है क्या ? पढ़ें ये पोस्ट : WHAT IS SUCCESS ?
दोस्तों ! चरित्र के बिना व्यक्ति का जीवन वैसा ही है जैसे बिना रीढ़ की हड्डी के शरीर होता है किन्तु आज के समय में तो लोग चरित्र से ज्यादा महत्व धन-दौलत को देते हैं , जिसके पास खूब पैसा,नाम व बड़ा घर-व्यापार है वह सामाजिक जीवन में सफल माना जाता है भले ही उसका चरित्र कैसा भी हो ।
फिर भी , किसी भी समय में चरित्र की महत्ता कम नहीं आँकी जा सकती क्योंकि चरित्रवान व्यक्ति की प्रशंसा हर कोई करता है ।
फिर भी , किसी भी समय में चरित्र की महत्ता कम नहीं आँकी जा सकती क्योंकि चरित्रवान व्यक्ति की प्रशंसा हर कोई करता है ।
》 चरित्र , निर्मित कैसे होता है 》
चरित्र अथवा स्वभाव , अच्छा और बुरा दोनो प्रकार का होता है । सामान्य तौर पर , हम चरित्र या स्वभाव से आशय सद्चरित्र या अच्छे स्वभाव का लेते हैं तथा अच्छे चरित्र कई में कई सदगुण विद्यमान होते है जैसे - धैर्य , साहस , ईमानदारी , सत्य , क्षमा , दया और सहानभूति आदि ।
वास्तव में , हम चरित्र-निर्माण से अधिक ध्यान अपने भविष्य-निर्माण पर देते है क्योंकि माता-पिता भी अपने बच्चों को यही समझाते हैं कि भविष्य बनाना , बहुत ज्ञान का अर्जन करना तथा धनवान बनना है लेकिन सद्चरित्र के अभाव में भौतिक धन होकर भी व्यक्ति निर्धन है तथा उसका ज्ञान भी अनुपयोगी है ।
वास्तव में , हम चरित्र-निर्माण से अधिक ध्यान अपने भविष्य-निर्माण पर देते है क्योंकि माता-पिता भी अपने बच्चों को यही समझाते हैं कि भविष्य बनाना , बहुत ज्ञान का अर्जन करना तथा धनवान बनना है लेकिन सद्चरित्र के अभाव में भौतिक धन होकर भी व्यक्ति निर्धन है तथा उसका ज्ञान भी अनुपयोगी है ।
इसीलिए , हमें चरित्र-निर्माण पर ध्यान देना होगा , बजाय भविष्य निर्माण के । यदि बच्चे चरित्रवान हों तो उनका भविष्य स्वयमेव सुनहला हो जाएगा ।
माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को सदैव सही मार्ग पर प्रशस्त करें , वे न सिर्फ अच्छे संस्कार और सद्चरित्र के लिए मार्गदर्शन दें बल्कि अपने कर्मों में भी यह भावना दिखाएँ ।
माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को सदैव सही मार्ग पर प्रशस्त करें , वे न सिर्फ अच्छे संस्कार और सद्चरित्र के लिए मार्गदर्शन दें बल्कि अपने कर्मों में भी यह भावना दिखाएँ ।
प्रारंभिक तौर पर , मनुष्य अपनी चारित्रिक विशेषताएँ माता-पिता और घर-परिवार के माहौल से ही सीखता है , बचपन में यदि कोई विशेष घटना हुई हो तो उसका प्रभाव भी चरित्र के निर्माण पर पड़ता है । कभी-कभी माता-पिता और बच्चों के कई गुण समान भी सकते हैं लेकिन कभी-कभार इसके उलट भी ।
फिर भी , हर व्यक्ति अपने आप में बिल्कुल अलग है , सभी का स्वभाव अलग-अलग होता है क्योंकि चरित्र बनता है - विचारों से और प्रत्येक व्यक्ति के विचार अलग-अलग होते हैं ।
विचार ही चरित्र का निर्माण करते हैं इसलिए चरित्र को बदलने के लिए विचारों को बदलना जरूरी है । अच्छे चरित्र के लिए हमें उत्तम विचारों की जरूरत होती है ।
फिर भी , हर व्यक्ति अपने आप में बिल्कुल अलग है , सभी का स्वभाव अलग-अलग होता है क्योंकि चरित्र बनता है - विचारों से और प्रत्येक व्यक्ति के विचार अलग-अलग होते हैं ।
विचार ही चरित्र का निर्माण करते हैं इसलिए चरित्र को बदलने के लिए विचारों को बदलना जरूरी है । अच्छे चरित्र के लिए हमें उत्तम विचारों की जरूरत होती है ।
» चरित्र और व्यक्तित्व : -
हमारे जीवन में परिस्थितियाँ चाहे जो भी रही हों , हमारा चरित्र सदैव अच्छा होना चाहिए ।
जैसा कि Abraham Lincoln ने कहा है : -
जैसा कि Abraham Lincoln ने कहा है : -
" Character एक वृक्ष की तरह है और Personality उसकी परछाई की तरह । हम जिसके बारे में सोचते हैं वह परछाई है ; लेकिन वास्तविक चीज तो वृक्ष है । "
किसी का चरित्र जन्म से ही बना-बनाया नहीं माना जा सकता , हो सकता है कि उसकी कुछ प्रवृत्तियाँ पहले से निर्धारित हों तो भी चरित्र परिवर्तनीय है । हम अपनी प्रवृत्तियों को , विचारों को एवं मान्यताओं को बदल सकते हैं , समय के साथ , परिस्थितियों के साथ और किसी के मार्गदर्शन के साथ ।
चरित्र और व्यक्तित्व एक दूसरे से जुड़ी हुई चीजें हैं । चरित्र वह है जो होता है और व्यक्तित्व वह है जो दिखता है और दिखाई जाने वाली चीज का रूप बदला भी जा सकता है । कहने का अर्थ यही है कि किसी के व्यक्तित्व को देखकर आप उसका चरित्र नहीं जान सकते क्योंकि आप व्यक्तित्व देख रहे हैं , जो निश्चित तौर पर चरित्र को छुपा सकता है ।
निष्कर्ष : - चरित्र या स्वभाव हमारे जीवन और कर्मों का मूल है , हम जो भी करते हैं अपने स्वभाव से प्रेरित होकर करते हैं ।
अतः केवल चीजों को पाने की ओर ध्यान देने की बजाय हमें अपने चरित्र को बनाने और अपने आप को पहचानने पर ध्यान देने की जरूरत है ।
सद्चरित्र बनने से तात्पर्य , अंततः एक अच्छा इंसान होने से है और अच्छा इंसान होने से तात्पर्य ___!
अच्छा चरित्र और अच्छा व्यक्ति कैसा होना चाहिए ? अच्छे इंसान की परिभाषा क्या है ?
शायद इस प्रश्न का उत्तर मुझसे ज्यादा अच्छे से कोई और जानता है और वह है -
हम सभी के अंतःस्थल में स्थित हमारी अंतरात्मा ; जो हर समय हमारा मार्गदर्शन करती है , जिसकी आवाज हम अधिकतर अनसुनी करते हैं । पाठकों , इस विषय पर विस्तारपूर्वक बात अगली पोस्ट पर होगी ।
अतः केवल चीजों को पाने की ओर ध्यान देने की बजाय हमें अपने चरित्र को बनाने और अपने आप को पहचानने पर ध्यान देने की जरूरत है ।
सद्चरित्र बनने से तात्पर्य , अंततः एक अच्छा इंसान होने से है और अच्छा इंसान होने से तात्पर्य ___!
अच्छा चरित्र और अच्छा व्यक्ति कैसा होना चाहिए ? अच्छे इंसान की परिभाषा क्या है ?
शायद इस प्रश्न का उत्तर मुझसे ज्यादा अच्छे से कोई और जानता है और वह है -
हम सभी के अंतःस्थल में स्थित हमारी अंतरात्मा ; जो हर समय हमारा मार्गदर्शन करती है , जिसकी आवाज हम अधिकतर अनसुनी करते हैं । पाठकों , इस विषय पर विस्तारपूर्वक बात अगली पोस्ट पर होगी ।
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6 comments
Write commentsHello, आपके ब्लाॅग की रचनाएं प्रेरक एवं आत्मविश्वास को जगाने वाली है साथ ही एक पाॅजिटिव सामग्री भी। आपके ब्लाॅग को हमने यहां लिस्टेड किया है। Best Motivational Blogs
ReplyIS support KE LIYE BAHUT-BAHUT DHANYAVAD !! i BLOGGER
Replyअद्भुत
ReplyThank you for this knknowled
Replyचरिञ निमार्ण के लिए अच्छे संस्काराेे को होना अति आवशयक है अगर देश को आगे ले जाना है तो हमे अपने लोगों के चरित्र निमार्ण पर विशेष ध्यान देना होगा
Replyचरित का निर्माण हमारे जीवन का एक सर्व मूल तत्व कह सकते हैं. चरित्र के निर्माण के लिए आवश्यक बातें
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