(1) मन के धन वे भाव हमारे हैं खरे। जोड़ जोड़ कर जिन्हें पूर्वजों ने भरे ।। उस भाषा में जो हैं इस स्थान की। उस हिंदी में जो हैं हिन्...
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स्वास्थ्य विधान / आदर्श जीवन / डेविड ई शी / रामचंद्र शुक्ल : भाग - 2
खाद्य पदार्थों पर विचार करके अब मैं पेय पदार्थों के विषय में कुछ कहना चाहता हूँ। प्राचीन यूनानियों का यह सिध्दान्त था कि पीने के लिए पानी ...
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स्वास्थ्य विधान/आदर्श जीवन/डेविड ई शी/रामचंद्र शुक्ल : भाग-1
'धर्मार्थकाममोक्षाणां शरीरं साधानं परम्' इस बात का विश्वास उन्नति के लिए परम आवश्यक है कि स्वास्थ्य रक्षा मनुष्य का प्रधान धर...
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स्वास्थ्य विधान / आदर्श जीवन / डेविड ई शी / रामचंद्र शुक्ल : भाग - 3
अब व्यायाम का विषय लेता हूँ जिस पर ध्यान देने की विद्यार्थी वा युवा पुरुष को सबसे अधिक आवश्यकता है। शरीर और चित्त की स्वस्थता, मन की फुरती...
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अतिथि कब जाओगे !
तुम्हारे आने के चौथे दिन, बार-बार यह प्रश्न मेरे मन में उमड़ रहा है, तुम कब जाओगे अतिथि! तुम कब घर से निकलोगे मेरे मेहमान! तुम जिस सोफे पर...
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कुत्ते की कहानी
मेरे मित्र की कार बंगले में घुसी तो उतरते हुए मैंने पूछा, “इनके यहां कुत्ता तो नहीं है?“ मित्र ने कहा, “तुम कुत्ते से बहुत डरते हो!” मैंन...
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क्रोध : निबंध/आचार्य रामचंद्र शुक्ल
आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी ने मनोविकारों जैसे - क्रोध, भय, उत्साह आदि पर बहुत सुन्दर रचनाएँ लिखी हैं ; वैसे तो, क्रोध पर मैं हमेशा से लिखती ...
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सड़क और सिद्धांत/हिंदी कहानी
भर्र-भर्र करती हुई एक जीप दुकान के सामने रुकी । ' ओ चायवाले , चार कप चाय बनाना ,' - कह कर एक आदमी तीन आदमियों के साथ दुकान के...
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