शिकायतें करना बंद कीजिए और सकारात्मक बनिये

क्या आप भी दूसरों से हमेशा शिकायतें करते रहते हैं ? जैसे कि - मेरे पास ये समस्या है वो परेशानी है , मेरी life में बहुत सी problems हैं या ये ऐसा है वो वैसा है वगैरह-वगैरह । 
ऐसा करके हम क्या प्रदर्शित करना चाहते हैं शायद ये कि पूरी दुनिया में हमसे ज्यादा मेहनती लेकिन संघर्षशील इंसान कोई है ही नहीं , इस तरह की सहानुभूति चाहते हैं , या हम बिल्कुल perfect हैं ये दर्शाना चाहते हैं  । देखा जाए तो यह आदत हम सबके अंदर है लेकिन ये पता कैसे चलेगा कि हमारे अंदर नकारात्मकता फैलाने की आदत बढ़ रही है ।

मेरे साथ भी यही हुआ : हो सकता है जानबूझकर अथवा अनजाने में हम भी दूसरों तक केवल negativity फैलाते आ रहे हों लेकिन जब हम स्वयं positive रहने की कोशिश करते हैं तो दूसरों तक भी positiveness फैलाते हैं तब यह समझ में आता है कि नकारात्मक चीजों की शुरूआत तो  हमारे विचारों से ही हो रही थी जो एक-दूसरे को स्थानांतरित किए जा रहे हैं ।

क्या आपने सोचा है कि जब भी हम कोई motivational speech सुनते हैं , पढ़ते हैं या किसी ऐसे व्यक्ति से मिलते हैं जो लोगों को motivate करते हैं तो हमें ऐसा लगता है जैसे किसी ने हमारे अंदर छुपी हुई शक्तियों को जगा दिया हो , एक गजब का साहस आ जाता है , उत्साह और आत्मविश्वास भी बढ़ता है । महसूस होता है कि हम भी कुछ कर सकते हैं । दूसरों को प्रेरित करके उनमें कुछ करने की भावना जागृत करना motivation है ।
अब प्रश्न उठता है कि motivators ऐसा कैसे कर लेते हैं ? क्योंकि वे सभी चीजों की ओर एक सकारात्मक नजरिया पैदा करते हैं जिन्हें आज तक हम नकारात्मक नजरिए से ही देखते आए होते हैं ,मेरे ख्याल से यही एक Keypoint है ।

     अब यदि हम अपनी daily life की ओर नजर डालें तो पाएँगे कि हमारी दूसरों से बातचीत का अधिकतर भाग Negative चीजों की चर्चा में जाता है और हमें यह तब अनुभव होता है जब हमसे कोई दूसरा व्यक्ति नकारात्मक विषयों पर ही ज्यादा बात करता है तो हम कहते हैं कि - उसने तो अपनी सारी शिकायतों का चिट्ठा ही बता डाला या हम अपने घर के ही किसी सदस्य की हमेशा complain करने की आदत से परेशान हों । यदि किसी नकारात्मक नजरिया रखने वाले इंसान से किसी जगह के बारे में पूछा जाए जहाँ वह जा चुका है तो वो उस जगह की हर नकारात्मक चीजों और दोषों को बताएगा भले ही वहाँ अच्छी चीजें के मुकाबले बुरी चीजें कम हों इसलिए न आप खुद नकारात्मक नजरिया रखें और न ही ऐसे negative लोगों की बातों से किसी चीज पर पूर्वधारणा बना लें ।

देखिए बातों में भी फर्क होता है , कुछ बातें उचित और जरूरी होती हैं तथा कुछ बेकार और अनावश्यक इसलिए यहाँ कहने का अर्थ यही है कि अनावश्यक और छोटी-छोटी negative चीजों को दोहराकर बार-बार खुद को और दूसरों को परेशान करना ठीक नहीं है ।

फिर भी , दूसरों से problems share करना चाहिए और अपनी शिकायतें भी सुलझाना चाहिए बजाय बात मन में दबा करके दुखी होने के लेकिन अच्छे-बुरे अनुभव तो सभी के पास होते हैं पर कुछ लोग केवल बुरे अनुभव और negative चीजों को ही दूसरों से share करते हैं जबकि उतनी ही अच्छी बातें भी उनके पास बाँटने के लिए हैं ... पता नहीं क्यों ।

ऐसे लोग दूसरों पर ही पूरा दोष लगाकर बताते हैं और हम किसी घटना , जगह या व्यक्ति के बारे में पूर्वधारणा बना लेते हैं वो धारणा नकारात्मक भी हो सकती है फिर बाद में वास्तविकता पता चलती है ।
यदि सही बात हो तो ठीक है लेकिन बेवजह चीजों को बुरा बताना , शिकायतें करना क्या ठीक है इसलिए किसी की बात को जाँच कर ही सही मानना चाहिए ।
हम खुद भी ध्यान रखें कि यदि हम किसी को सलाह दे रहे हों तो पूरी जानकारी के साथ दें ।  क्योंकि हर घटना के दो पहलू होते हैं हमें दोनो को देखना है न कि केवल एक पक्ष को ।

हमारा व्यवहार सकारात्मक प्रभाव लिए हो ; चर्चाएँ और बातें सही , सार्थक और उचित निष्कर्ष के साथ होनी चाहिए । क्योंकि बेवजह किसी पर दोषारोपण करने से कुछ नहीं होगा हमें अपनी गलतियाँ भी स्वीकार करनी होंगी ।
अपने EGO के कारण ऐसा करना मुश्किल हो सकता है लेकिन सच मानिए आपमें जितनी विनम्रता होगी आप उतने ही खुश और सकारात्मक इंसान बनेंगे साथ ही दूसरों तक भी खुशियाँ फैलाएँगे । इस तरीके से आपके आसपास का माहौल भी सकारात्मक बनेगा

फिर हम उन लोगों में से होंगे जो अपने व्यवहार से , बातों से दूसरों को खुशी का हल्कापन देते हैं न कि समस्याओं का बोझ ।
आप खुद भी हमेशा खुश रहिए तथा सबसे  अच्छी खुशनुमा बातें कीजिए , आप जिससे भी मिलें , लोगों को आपसे मिलकर अच्छा महसूस हो ,उनकी सोच में सकारात्मक बदलाव हो । ये सच है कि दुनिया में बुरी चीजें होती हैं पर अच्छी चीजें भी होती है लेकिन हम कहीं बुराईयों को देखने के इतने आदी न हो जाएँ कि अच्छाइयों को देख ही न सकें ।

हर जगह अपने दुखों और कष्टों को रोना बंद कीजिए , जीवन के अच्छे पक्ष की ओर ध्यान दीजिए । दुखों और शिकायतों से हटकर समाधान ढूढ़ने की कोशिश कीजिए ।

ध्यान रखिए कि खुश होना एक आंतरिक अवस्था है यह बाहरी चीजों पर बहुत कम ही निर्भर करती है क्योंकि यदि ऐसा होता तो दुनिया के सबसे अमीर लोग ही सबसे खुश और सुखी लोग होते ।
वास्तव में , हमारे विचारों और कार्यों में समन्वय होना ही खुशी है तथा संतुष्टि भी ।
SO STOP COMPLAINING AND THINK  POSITIVE !!

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