भारत में सरकारी नौकरी का इतना क्रेज क्यों है?

हमारे देश में सरकारी नौकरी के लिए इतनी होड़ क्यों मची रहती है ? आखिर क्या है इसमें ऐसा ? सच्चाई जानना चाहते हैं तो ये आर्टिकल आपके लिए है !

Why the craze for government jobs in India?
दोस्तों ! आपको क्या लगता है ? हमारे देश में सरकारी नौकरी का बुखार लोगों के सर चढ़कर क्यों बोलता है ? आखिर क्यों जिसे देखो सरकारी नौकरी के पीछे भाग रहा है ? और क्या वाकई सरकारी नौकरी सबसे अच्छी होती है ? इन सारे सवालों के जवाब आज हम आपको देंगे इस पोस्ट में...
“Job Security” अक्सर सरकारी नौकरी की पहली वजह होती है !
“Not so demanding” यानि सरकारी जॉब में काम का ज्यादा प्रेशर नहीं होता, कोई burden नहीं होता ! पर क्या सचमुच ?

government job craze in India


उत्तर प्रदेश सरकार के सचिवालय को हाल ही में चपरासी की vacancies के लिए Postgraduates और PhD holders तक के आवेदन मिले, इससे पहले भी सिक्यूरिटी गार्ड जैसे पद के लिए B.Tech और MBA holders ने अप्लाई किया, ऐसी ख़बरें आ चुकी हैं ।

आखिर लोगों में सरकारी नौकरियों के लिए इतनी सनक क्यों है ?

कुछ दिन पहले, जब मैं कुछ इंजीनियर और एमबीए freshers से बात कर रहा था तो मैंने उनकी ड्रीम-जॉब के बारे में पूछा और मुझे ये जानकर बड़ी हैरानी हुई कि, उनमें से ज्यादातर लोग सरकारी नौकरी करना पसंद करते हैं, चाहे वह कोई भी हो ! और प्राइवेट सेक्टर में वे तभी जाना चाहेंगे, जब सरकारी जॉब या पब्लिक सेक्टर की कंपनियों में उनकी नौकरी न लग पाए |

आज सरकारी नौकरियों के लिए इस नई सनक का कारण हमारे युवाओं के मन में बैठी गलत धारणा है। दरअसल youths में ये एक misconception है कि सरकारी जॉब Demanding नहीं होती, इसमें कोई Targets नहीं होते और ये बहुत सारे Benefits प्रोवाइड करती है और सबसे ज्यादा कि, इसमें Job Security होती है, साथ ही प्राइवेट सेक्टर में सरकारी नौकरी की तुलना में कम सैलरी मिलती है।

ठीक है..... पर वास्तविकता अलग है। आइये देखते हैं कि कैसे सच्चाई इन सब बातों से अलग है ?


मिथक 1: सरकारी नौकरी के pay और benefits हमेशा प्राइवेट नौकरियों से ज्यादा होते हैं ?

एंट्री लेवल पर, गवर्नमेंट जॉब सबसे अच्छी सैलरी देती है | हाल ही में, पोस्टमैन और मेल गार्ड की पोजीशन के लिए vacncies निकाली गयीं, इसके लिए minimum education criteria था - Class 10th या 12th और सैलरी 20,000 रुपए तक की !
जब 'Other benefits' की बात आती है जैसे maternity benefit या medical benefit तो इस मामले में निश्चित तौर पर government organisations ने private sector को पीछे छोड़ दिया है |

अब, हम सैलरी और दूसरे बेनेफिट्स के मामले में सरकारी नौकरी के नकारात्मक पहलू पर गौर करेंगे –

सरकारी नौकरियों में सैलरी केवल entry-level पर ही attractive होती है। लेकिन सालों गुजरने के बाद भी, एक सरकारी कर्मचारी को उसकी कमाई के साथ जो benefits मिलते हैं वह उसके private counterparts की तुलना में काफी कम होते हैं | 
जबकि एक competent employee के लिए जो भले ही प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहा है, सैलरी बढ़ने के chances होते हैं और कुछ 10-15 सालों में वह AVP या VP के लेवल तक भी पहुँच सकता है | खैर, गवर्नमेंट आर्गेनाईजेशन में काम करने वाला एक व्यक्ति 15 सालों में सीनियर क्लर्क या सुपरिन्टेन्डेन्ट (आमतौर पर) बन सकता है और लॉन्ग टर्म में, गवर्नमेंट सेक्टर में काम करने वाले employee की सैलरी, प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले employee की तुलना में एक-तिहाई हो जाती है |  
   
इसलिए, जो नौकरी आज attractive सैलरी प्रोवाइड कर रही है, वह 10 से 15 साल बाद liability बन जाएगी। इन हालातों में Competent employees भी निराश होते जाते हैं क्योंकि उनकी योग्यता को न ठीक से पहचाना जाता है और न ही अच्छे से रिवॉर्ड किया जाता है।

वहीँ private sector में कैरियर शुरुआत में काफी टफ होता है, लेकिन कुछ समय बाद, योग्य व्यक्ति को इसमें अच्छे रिवार्ड्स मिलते है, यानि कि जो एम्प्लोई skilled और worth होते हैं, प्राइवेट कंपनियां उन्हें अच्छे offers प्रोवाइड करती हैं | जैसे कि हाल ही में, IIT कानपुर के एक स्टूडेंट को Microsoft की तरफ से 1.5 करोड का पैकेज मिला और ये पहली बार नहीं हुआ बल्कि इससे पहले भी कई IIT स्टूडेंट्स को 1.5-2 करोड़ तक के offers मिल चुके हैं |


मिथक 2 - सरकारी नौकरियां कम मांग वाली होती है यानि less demanding, कोई लक्ष्य नहीं होता है यानि no targets और ये permanent होती  हैं यानि बढ़िया job-security - 

सच ये है कि, सरकारी नौकरियां अब उतनी आरामदायक नहीं रहीं जितनी पहले हुआ करती थीं | आज सरकार non-performers से निपटने के लिए कई नीतियां ला रही है जिसमें non-performing officers को रिव्यु किया जाता है, वहीं Department of Personnel and Training ने भी non-performering officers से निपटने के लिए एक detailed guideline जारी की है | इसका मतलब है कि, अब, जो government employees अपनी duties अच्छी तरीके से नहीं करेंगे, misbehave करेंगे या काम के दौरान office में casually बातचीत करेंगे, वो अपनी jobs में ज्यादा दिन तक नहीं टिक सकते |

वहीँ दूसरी तरफ, government जॉब के कई नए तरीके भी अपना रही है जो पहले नहीं होते थे, जैसे- अब सरकार किसी specific project के लिए जरुरी human resource के आधार पर contractual roles क्रिएट कर रही है | उदहारण के तौर पर, हाल ही में, BHEL में Graduate Trainee एक साल के कांट्रेक्ट बेसिस पर नियुक्त किये गए, इसी तरह Bihar Rural Livelihood Promotion Society ने सोशल वर्कर से लेकर डायरेक्टर तक के पदों के लिए कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर नियुक्तियाँ की थीं | इसलिए, अब सभी गवर्नमेंट जॉब्स “permanent” नहीं रहेंगी | इसके अलावा, सरकार कुछ नौकरियों को प्राइवेट सेक्टर में आउटसोर्स करने पर भी विचार कर रही है।

Government और Private सेक्टर्स में Jobs के अपने-अपने फायदे और नुकसान होते हैं | हो सकता है जो benefit आपको एक जगह पर मिल रहा है वह दूसरी जगह पर नहीं मिल रहा हो, तो दोस्तों ! यहाँ चुनाव आपको करना है ! कि आपको कौन –से सेक्टर में जॉब चाहिए, आपकी Job रिक्वायरमेंट्स क्या हैं और आप कितना risk ले सकते हैं अपनी जॉब को लेकर ...
बस इतना ध्यान रखिये कि यदि आपमें योग्यता है और आपकी Performance अच्छी है तो आप किसी भी सेक्टर में एक अच्छी Position हासिल कर सकते हैं और पैसे भी | 

Friends ! कैसी लगी ये post, जरुर बताईयेगा !

Article Source : http://www.thehindu.com/features/education/careers/why-the-craze-for-government-jobs/article7877282.ece