पत्थर पड़े हैं राहों में

पत्थर पड़े हैं राहों में, 
उन्हें पार कर दिखाना है  
लंबी बड़ी है राहें अपनी,
मंजिल को अपनाना है
न साथ अपने है कोई,
न साथ जमाना है
न कहीं कोई दुश्मन अपना,
न कोई दोस्त हमारा है
हम पर हँसने वालों को,
अब हमें बतलाना है
वक्त आज हमारा है,
इस आसमाँ को अब झुकाना है
एक दिन दिल ने पूछ लिया,
क्या लक्ष्य तुझे बनाना है
बंद आँखों के सपनों को,
क्या सच नहीं बनाना है
जिस दिन मैंने ठान लिया,
एक दिन दुनिया पर छाना है
प्रण लिया मैंने कि,
कुछ करके दिखलाना है
पत्थर पड़े हैं राहों में,
उन्हें पार कर जाना है
कठिन बड़ी हैं राहें अपनी,
मंजिल को तो पाना है ।
" की है तूने मेहनत इतनी दूर तक आने के लिए, बस कदम दो कदम और चल मंजिल को पाने के लिए "

- By Ruchika Mourya