सुबह जल्दी उठने में मददगार उपाय

सुबह जल्दी अथवा सूर्योदय से पूर्व उठना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है । इससे हमारे अंदर नई उर्जा का संचार होता है , सुबह जल्दी उठकर टहलने से मन को शांति मिलती है क्योंकि उस वक्त हवा ताजी और वातावरण शोरमुक्त होता है । देर तक सोने से आलस तो बढ़ता ही है और आयुष्य में भी कमी होती है ऐसा माना जाता है ।
प्रातः काल ध्यान-योग वगैरह का भी अभ्यास कर लिया जाए तो क्या कहना । अतः सार रूप में कहा जाए तो " सुबह जल्दी उठना बहुत ही फायदेमंद है और देर तक सोना नुकसानदायक । " खैर , यदि किसी की दिनचर्या ऐसी है , जिसे दिन में सोना आवश्यक हो तो क्या किया जा सकता है ।
अब जब सुबह जल्दी सो कर उठना इतना लाभदायी है , तो हम सब चाहेंगे कि यह आदत हममें हो । पर वाकई में , जब ये आदत बचपन से न हो तो फिर डालने में बड़ी मुश्किल हो जाती है । मैंने भी सुबह जल्दी उठने की आदत डालने की बहुत कोशिशें की और इससे जो अनुभव मिला , उसे यहाँ लिखा है ताकि इस दिशा में लगे हुए लोगों की कुछ help हो सके ___
इससे पहले भी मैंने एक पोस्ट डाली थी -
" सुबह जल्दी उठने की आदत कैसे डालें "
तो अब इस पोस्ट को उसके आगे का भाग ही समझिए । इसलिए पहले एक बार उस पोस्ट को पढ़ सकते हैं । यहाँ उसका विस्तार है ।
साररूप में , पहले हमने जाना था - " सोने तभी जाइए जब आपको सचमुच बहुत नींद आ रही हो लेकिन हर दिन एक निश्चित समय पर ही उठिए । "
अब , एक दिन का पूरा चक्र देखते हैं क्योंकि एक-एक दिन मिलाकर ही तो पूरा जीवन बनता है । पिछली पोस्ट जो STEVE PAVLINA जी के BLOG से ली गई थी , के अनुसार - रात में जब हमें बहुत जोरों की नींद आने लगे , तब जाकर सो जाना चाहिए यानि इसका कोई समय निर्धारित नहीं होगा जैसे - 10 बजे , 11 बजे या उससे भी पहले । यानि रोज का सोने का टाइम अलग-अलग होगा जो कि हमारे शरीर की थकावट और जरूरत से तय होगा ।
           फिर , हमें एक नियत समय पर उठना होगा जैसे 5 बजे । इस दौरान हमारा शरीर , सोने के घंटे आवश्यकतानुसार तय कर लेगा । किसी दिन ज्यादा तो किसी दिन कम ।
यह अवधारणा " स्टीव पावलिना " जी ने बताई है । काफी कारगर है ये । इस विचार-धारा को आजमाते हुए अपने अनुभव से मैंने जो पाया आगे वो कहा है ।
यहाँ , समस्या कहाँ आयी ? सोने में ? नहीं ! जब नींद आए तब सोने जाना बहुत आसान है बजाय एक नियत टाइम पर बिस्तर पर लेट जाने के चाहे नींद आ रही हो या नहीं ।
          फिर , सुबह उठने की बारी आती है । सच कहें , तो समस्या चूँकि जल्दी उठने में है तो यही वह पड़ाव है जहाँ आपको मेहनत करनी है । एक व्यक्ति जो हमेशा 8-9 बजे आराम से उठता है उसके लिए 5-6 बजे उठना बहुत बड़ा challange होता है ।
हो सकता है अभी इस article को पढ़कर आप सुबह जल्दी सोकर उठने के लिए motivate हो जाएँ , लेकिन उस वक्त जब आपको ये करना होता है , प्रेरणा बनाए रखना कठिन हो जाता है , आलस जो सवार रहता है मन में । लगता है क्या करेंगे जल्दी उठकर , थोड़ा और सो लेते हैं , आज बस , कल से जल्दी उठेंगे , नींद पूरी नहीं हुई 5 मिनट और ... फिर जब बाद में ध्यान आता है तो पछतावा होता है कि यह थोड़ी देर का , 5 मिनट का मोह ले डूबा ।
और यदि एक बार उठ गए , सो उठ गए । फिर जो न फिरे वह मंजिल तक पहुँच गया ।
अतः समझ लीजिए कि केवल एक पड़ाव ही पार करना है बस । एक बार निश्चय कर लिया तो तय समय पर बिस्तर छोड़ दीजिए और फिर से न सो जाएँ , इसके लिए तब तक कोशिश करते रहिए जब तक आपको यह विश्वास न हो जाए कि हाँ , अब नींद चली गई । हमें इतना प्रयास केवल तब तक करना है , जब तक हमारा शरीर सुबह जल्दी उठने की आदत न बना ले । फिर यह हमारी प्रकृति ही बन जाएगी । ठीक उसी तरह , जैसे कुछ लोगों की होती है , वे कोई बड़ी मेहनत नहीं करते , कोई जद्दोजहद नहीं करते सुबह जल्दी उठने के लिए ; बस उठ जाते हैं । बहुत आसानी से , क्योंकि यह उनकी प्रकृति बन गई है । उन्हें नियत समय से अधिक नींद भी नहीं आती ।
इस पूरी process में , मुख्य चुनौती सिर्फ सुबह जल्दी उठने और उठकर तुरंत फिर से न सो जाने की ही होती है ।
अतः इसके लिए कुछ उपाय मददगार होंगे : -
> अलार्म का प्रयोग :
सुबह जागने के लिए हम अक्सर अलार्म का प्रयोग करते हैं और उसके अनुसार ही उठने का प्रयास करते हैं । लेकिन मुझे लगता है कि ऐसा करने से हमारी नींद कृत्रिम तरीके से खुलती है जिससे उठने का बिल्कुल भी मन नहीं करता ।
मान लीजिए , आपका दिमाग 10 मिनट और सोना चाहता है लेकिन अलार्म के द्वारा आप उसे बीच में ही जगा देते हैं । इसलिए , मेरा मानना है कि आप बिना अलार्म लगाए उठिए ।
यह कैसे होगा ? अपने अंदर लगे हुए प्राकृतिक अलार्म से यानि मन की शक्ति से , यदि आपको चिंता है । चिंता नहीं समझिए विश्वास है या आप चाहते हैं कि आप जल्दी उठें और अपने दिमाग में सुबह उठने के लिए एक निश्चित समय तय कर लेते हैं , तो जरूर आप की नींद , खुद-बखुद उस समय या उसके आस-पास खुल जाएगी , वह भी फुर्ती के साथ , प्राकृतिक रूप से । फिर प्रतिदिन करने से धीरे-धीरे हमारी यह आदत बन जाएगी । वैसे अलार्म घड़ी भी लगा सकते हैं ।

> 21 दिन का संकल्प :
कहते हैं - " कोई भी काम यदि लगातार 21 तक किया जाए तो वो हमारी आदत बन जाता है " और आदतन कुछ करना आसान है , यही है अभ्यास की वजह । इसका मतलब है , यदि हम रोज रात को सोते समय , अपने सुबह जल्दी उठने का संकल्प अथवा निर्णय दोहराएँ और लगातार इसे सिर्फ 21 दिन या 1 महीने तक पूरा करें ; तो यह हमारे स्वभाव में शामिल हो जाएगा ।

> सहायक माहौल :
वातावरण इंसान पर बड़ा प्रभाव डालता है । अब यदि हमारे घर-परिवार में सब लोग देर से सोकर उठने वाले हैं तो एक अकेले person को inspiration नहीं मिल पाता । परन्तु यदि ज्यादातर लोग early riser हैं तो आपको अच्छा साथ मिल जाता है । अतः चाहें तो आप किसी का support ले सकते हैं ।

> प्रेरणा ढूढ़िए और अपनी मदद खुद कीजिए : फायदे याद रखिए सुबह जल्दी उठने के ! सुबह की ताजी हवा में टहलने का मजा याद कीजिए । यदि ध्यान आदि किया है तो उससे हुए लाभ भी प्रेरणा देंगे । सबसे बड़ी बात , समय की बचत हुई , आलस दूर हुआ और न जाने कितने फायदे ।
यदि आप ऐसा करने में एक दिन सफल रहे हों तो खुद को शाबाशी दीजिए । साथ ही , जिसे जल्दी उठने की आदत है , उससे भी मदद ले सकते हैं कि वो आपको भी जल्दी उठा दें और बाकि रूटीन वर्क भी साथ में कर सकते हैं ।

>कोई रूचिकर काम कीजिए :
अब यदि सुबह जल्दी उठ गए हैं तो अपनी पसंद का कोई भी काम करना इसे और ज्यादा interesting बनाता है - जैसे मुझे सुबह-सुबह भजन सुनना बहुत पसंद है , मुझे यह पूरे दिन के लिए उर्जा देता है ।
क्योंकि , सुबह-सुबह यदि कोई boring काम किया जाए तो फिर से नींद आने लगती है । जैसे - उठकर तुरंत पढ़ना या मोबाइल चलाना या कुछ ऐसा काम करना जिससे हमारी आँखों व दिमाग पर जोर पड़ता हो ।
यदि बहुत जरूरी है या पसंद का काम है तो करें किंतु सुबह के समय ताजगी व स्फूर्ति देने वाला मजेदार काम करना ही ज्यादा बेहतर होता है जैसे - Excercise या Walk करना ।
ये चीजें शुरू-शुरू में , एक Early Riser बनने के लिए काफी मदद कर सकती हैं । इस प्रकार बहुत से उपाय हो सकते हैं जो इस छोटे-से काम को साधने में मदद करें ; यदि आप भी कोई idea देना चाहें तो जरूर share करें ।
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