असफलता दिखाती है नयी राहें

असफलता दिखाती है नयी राहें (From the book  'Wings of fire' By Dr. APJ Abdul Kalam)

असफलताएँ, सफलता का ही एक भाग होती हैं । दोस्तों ! हमारे जीवन में जो असफलताएँ आती हैं वह हमारी नियति का हिस्सा होती है और हमें चाही गई सफलता की ओर अग्रसर करती हैं यह अटल नियम है कि जो भी चाहा गया है वह जरूर मिलेगा, जिस चीज की इच्छा पूरे मन  की जाती है वह कभी न कभी अवश्य प्रकट होता है, ऐसा  मानना था  एपीजे  अब्दुल कलाम जी का ।
यह आर्टिकल  भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक Dr. Abdul kalam  जी द्वारा लिखी गई  पुस्तक  (wings of fire ) 'अग्नि की उड़ान' से लिया गया है ।

उनके जीवन कि यह घटना उनके सफलता के विश्वास पर प्रकाश डालती है । वे कभी भी असफलताओं से निराश नहीं हुए । 
एक असफलता सफलता की और ऊँची राह पर ले जाती है, नियति के रास्ते निराले होते हैं
कहते हैं असफलता का अर्थ है कि सफलता का प्रयास पूरे मन से नहीं किया गया इसलिए निराश मत होइए  ; असफलता से सबक लीजिए , और फिर से कोशिश कीजिए , हो सकता है इस बार आपको सफलता मिल जाए ...।
भारतीय वायुसेना में सेलेक्ट न हो पाने पर डाॅ. अब्दुल कलाम जी ने असफलता का सामना किया और उसे स्वीकार भी किया ; आइए पढ़ते हैं, उनके जीवन का ये रोचक प्रसंग - :

एक aeronautical  engineer होने के नाते उनके पास  दो career option थे  । पहला air-force में या दूसरा  Directorate of Technical Development and Production (air) , Ministry of defense में, job करना ; उन्होंने दोनो में apply किया और उनके पास दोनो ही ओर से interview call आए ; उन्हें एयर फोर्स recruitment  authorities  की ओर से देहरादून बुलाया गया और D.T.D. & P. के साक्षात्कार के लिए दिल्ली  आने को कहा गया ...... 

>>> मैं दिल्ली के महान् सूफी संत हजरत निजामुद्दीन के शहर में एक सप्ताह रूका और DTD & P (air) में इंटरव्यू के लिए गया ; मेरा  interview अच्छा रहा । प्रश्न हमेशा की तरह सामान्य  थे और विषय के मेरे ज्ञान को उन्होंने चुनौती नहीं दी ।
 फिर मैं air selection board में इंटरव्यू के लिए देहरादून गया, वहां शायद वे मुझमें फिजिकल स्ट्रेंग्थ और कम्युनिकेशनल स्किल्स चाह रहे थे । वे Intelligence से ज्यादा Personality पर जोर दे रहे थे । मै उत्साहित लेकिन मायूस, ढृढ़ निश्चयी पर चिंतातुर और आत्मविश्वासी लेकिन तनावपूर्ण था । मैं air-force के 25 के बैच में से 8 commissioning officer के चुनाव में 9वां था । मुझे यह बात समझने में थोड़ी देर लगी कि air-force  में काम मिलने का मौका मेरे हाथ से जा चुका है ...

मैं मजबूरी से अपने आपको selection board  के बाहर ला सका और एक छोटी सी पहाड़ी के किनारे खड़ा रहा । दूर एक झील थी , मै जानता था आगे के दिन कठिन होंगे । कुछ सवाल थे जिनके जवाब पाने थे और एक वर्क-प्लान तैयार करना था । मैं ऋषिकेश की कठिन यात्रा पर चला गया ; मैंने गंगा मे स्नान किया और पानी की शुद्धता का मजा लिया । फिर मैं शिवानंद आश्रम गया जो एक पहाड़ी के थोड़ी दूर पर था ।
जब मैं आश्रम में प्रविष्ट हुआ तो मुझे तीव्र कंपनो का आभास हुआ और मैंने कई साधुओं को वहाँ समाधिस्थ बैठे देखा ।
मैंने सुना था कि साधु लोग आध्यात्मिक होते हैं - जो अंतर मे सब चीजों को जान लेते हैं, मैं उन शंकाओं का उत्तर खोज रहा था जो मुझे परेशान कर रहे थे।
                मैं स्वामी शिवानंद से मिला -- एक ऐसे व्यक्ति जो बुद्ध के समान दिखते थे , वे सफेद धोती और लकड़ी की खड़ाऊँ पहने हुए थे । उनका वर्ण जैतून के फूल के रंग का था और अंतरभेदी काली आँखें थीं । मै उनकी प्रतिरोधरहित लगभग बालक की मुस्कान व रहन-सहन से हतप्रभ रह गया । मैंने स्वामीजी को अपना परिचय दिया , मेरे नाम से उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई, इसके पहले कि मैं आगे बोलता, उन्होंने मेरे दुख का कारण पूछा तथा इस बात का कोई स्पष्टीकरण नहीं किया कि उन्हे कैसे पता चला कि मैं दुःखी हूँ और मैंने भी नही पूछा ।
मैने उन्हें मेरे भारतीय वायुसेना में शामिल होने के असफल प्रयास और मेरी लंबे समय से उड़ने की  इच्छा बताई । वे मुस्कुराए और मेरी सारी चिन्ता तत्काल धुल गई ।

फिर उन्होंने धीमी लेकिन गहरी आवाज में कहा-
" इच्छा जब वह ह्रदय तथा आत्मा में उठती है तब वह शुद्ध और तीव्र होती है , उसमें आश्चर्य भरी विधुत - चुम्बकीय ऊर्जा  ( Electra-magnetic energy ) होती है । यह ऊर्जा हर रात को वायुमंडल में मुक्त कर दी जाती है , जब मस्तिष्क नींद की अवस्था में होता है । प्रत्येक सुबह सचेत अवस्था में  वह उर्जा ब्रम्हांड से और शक्ति प्राप्त कर वापस आती है ;    जिसकी कल्पना की गई है , छवि बनाई गयी है , वह निश्चित रूप से प्रकट होगा ।  नौजवान ! तुम इस सार्वकालिक वचन पर उतना ही भरोसा कर सकते हो , जितना कि तुम रोज सूर्योदय होने और वसन्त ऋतु के आने पर करते हो ।"

जब शिष्य तैयार होता  है , तो गुरू प्रकट होते हैं । कितना सत्य है ! यह वह शिक्षक था जो एक पथभ्रष्ट विधार्थी को राह दिखला रहा था ।

अपनी नियति को स्वीकार कर लो और जीवन में आगे बढ़ो , तुम एक वायुसेना के पायलट बनने के लिए नहीं बने हो - तुम क्या बनोगे यह अभी प्रकट नही है  पर वह पहले से ही निश्चित है ;
इस असफलता को भूल जाओ क्योकि यह तुम्हें  अपने नियति के पथ पर ले जाने के लिए अत्यावश्यक थी   ।  इसके  बजाय " अपने अस्तित्व के सच्चे उद्देश्य को खोजो अपने आपसे एकाकार हो जाओ पुत्र !

ईश्वरेच्छा के प्रति समर्पण कर दो " - स्वामीजी ने कहा ।

मैं वापस दिल्ली आया व DTD & P (Air) के मेरे इंटरव्यू के परिणाम के बारे में पूछताछ की , जवाब में मुझे मेरा नियुक्ति पत्र दे दिया गया । मैने अगले दिन 250/- प्रतिमाह के वेतन पर senior scientific assistant के रूप में join  किया ।
अगर यही मेरी नियति है तो यही होने दो-मैने सोचा और मानसिक शांति से भर गया । मैंने फिर कभी वायुसेना में भर्ती न होने की कड़वाहट या अफसोस महसूस नहीं किया ।