क्रोध और शांति -
(Anger) क्रोध - :
ओह ! क्रोध एक कुरूप वस्तु है ,
और सुन्दर से सुन्दर चेहरे को भी बिगाड़ देती है ।
वह एक धूप से खिले स्थान पर ,
एक काले वर्षा के बादल की तरह आती है ।
एक क्रोधपूर्ण क्षण प्रायः ऐसा होता है ,
जिसके लिए हम वर्षों पछताते हैं ;
वह ऐसा गलत कार्य करवाता है जिसे हम कभी - दुःख प्रकट करके या आँसुओं से भी सही नहीं कर सकते हैं ।
(Peace) शान्ति - :
शान्ति का हाथ नर्म और कुनकुना है ,
और फाख्ता ( dove ) के कोमल पंख पर हाथ फिराने जैसा है ;
और वह मनुष्य जो किसी क्रोध भरे विचार को कुचल देता है
वह एक राजा से भी महान है ।
अपनी युवावस्था में हमेशा याद रखो -
जो खुद को जीतने व स्वयं पर शासन करने की ढ़ृढ़ता से कोशिश करता है ,
वह महान , बहादुर और बुद्धिमान है ।।
- Anonymous
( A translated poem )
गुस्से में आकर किए गये कार्यों पर हमेशा पछताना पड़ता है , जो हानि की जा चुकी है , उसकी भरपाई कभी नहीं की जा सकती ।
दूसरी तरफ , शान्ति जिसमें सरलता व स्नेहपूर्ण भावना विधमान हैं , हमें अपना और दूसरों का नुकसान करने से रोकती है ।
गुस्से को जीतना आसान नहीं है , यह मनुष्य को आपे से बाहर आने को मजबूर कर देता है ।केवल वही व्यक्ति जो खुद को अनुशासन और नियंत्रण में रखता है , क्रोध पर विजय पा सकता है । लेकिन यदि बड़े धैर्य व सहनशक्ति के साथ कोशिश की जाए तो क्रोध को काबू में करना ज्यादा कठिन नहीं है ।